प्र. बायो डीज़ल क्या है? यह कैसे निर्मित होता है?
उ. बायो डीज़ल, ईंधन का वैकल्पिक तथा पर्यावरण हितैषी स्त्रोत है जो घरेलू नवीनीकृत साधनों जैसे वनस्पति तेल तथा जानवरों की वसा द्वारा निर्मित किया जाता है. ये प्राकृतिक तेल तथा जंतु वसा मुख्यतः ट्राईग्लिसराइड्स से बने होते हैं. यह ट्राईग्लिसराइड्स जब उत्प्रेरकों की उपस्थिति में निम्न श्रेणी एल्कोहल से रासायनिक क्रिया करते है, तो वसीय अम्लों के ईस्टर का निर्माण होता है. ये ईस्टर पेट्रोलियम से संशोधित डीज़ल से काफ़ी समानता रखते हैं तथा ''बायो डीज़ल'' कहलाते हैं.
प्र. बायो डीज़ल के निर्माण के लिए पौधों की कौनसी प्रजाति उपयुक्त होती है? बायो डीज़ल प्लांट की कितनी मात्रा ईंधन किफायत हेतु आवश्यक है?
उ. बायो डीज़ल, मुख्यतः यू.एस.में सोयाबीन के तेल से तथा यूरोप में सूर्यमूखी के तेल से निकाले जाते हैं. चूँकि भारत में खाद्यतेलों की कमी है ऐसी स्थिति में बायो डीज़ल के निर्माण हेतु जट्रोफ़ा, करंजिया तथा राइस ब्रान ऑइल जैसे अखाद्य तेलों का भी चयन किया जा सकता है. भारत में बायो डीज़ल अभी अनुसंधान अवस्था में होने से किफ़ायती किस्मों की पैदावार बाद में ही की जा सकती है.
प्र. भारत जैसे देश के लिए बायो डीज़ल का क्या महत्व है?
उ. बायो डीज़ल लोकप्रिय होते जा रहे हैं क्योंकि ये ऊर्जा के नवीनीकृत स्त्रोतों से निर्मित होने के कारण पर्यावरण हितैषी होते हैं तथा स्थानीय रूप से भी बनाए जा सकते हैं. भारत में खाद्य तेलों की कमी होने से अखाद्य तेल जैसे जैट्रोफ़ा, करंजिया बायो डीज़ल बनाने के वांछित स्त्रोत हो सकते हैं. ये पौधे भारत में उपलब्ध ८० मिलियन हैक्टेयर बेकार पड़ी भूमि पर उगाए जा सकते हैं. इनकी फ़सलें शुष्क तथा अर्द्ध शुष्क क्षेत्रों में उगाई जा सकती हैं तथा इन्हें उगाने के बाद किसी भी प्रकार की देख-रेख की आवश्यकता नहीं पड़ती. चूँकि लगभग सारी बेकार पड़ी भूमि ग्रामीण एवं आर्थिक रूप से अल्प विकसित क्षेत्रों में है अतः बायोडीज़ल के बड़ी मात्रा में उत्पादन से इन क्षेत्रों में रोज़गार तथा विकास के बेहतर अवसर उपलब्ध होंगे.
प्र. पंप इंजिन तथा वाहनों के लिए बायो डीज़ल कैसे अनुकूल है? इंजिन में किन परिवर्तनों आवश्यकता है?
उ. मिनरल डीज़ल के एक वैकल्पिक स्त्रोत के रूप में बायो डीज़ल के अनुप्रयोग का मुख्य क्षेत्र परिवहन क्षेत्र ही है. अधिकांश ऑटोमोबाइल बिल्डर्स जैसे फ़ोर्ड, जॉन डीयर, मैसे-फ़र्ग्युसन, मर्सीडीज, बीएमडब्लयू, वोल्कसवैगन, वोल्वो आदि ने अपने वाहनों के इंजिन के लिए बायो डीज़लको ईंधन के रूप में सर्वथा उपयुक्त माना है. हालाँकि शुद्ध बायो डीज़ल की अपेक्षा मुख्यतः१०% से २०% तक मिश्रित बायो डीज़ल का प्रयोग किया जाता है. इस मिश्रण प्रक्रिया के कारण बायो डीज़ल के संग्रहण के लिए एक पृथक तथा मंहगी आधारभूत संरचना की आवश्यकता नहीं पड़ती है. यद्यपि बायो डीज़ल लगभग सारे डीज़ल चलित वाहनों में प्रयोग के लिए अनुसंशित किए जाते हैं, तथापि इन्हें ASTM/DIN वैशिष्टीकरण मानकों पर खरा उतरना चाहिए.
प्र. आई ओ सी के अंर्तगत बायो डीज़ल अनुसंधान की आवश्यकता क्यों महसूस हुई ? क्या इस प्रौद्योगिकी एवं उत्पाद को सफलता मिली?
उ. पेट्रोलियम भंडारों के गिरते स्तर के साथ ही वैश्विक पर्यावरणीय समस्याओं ने पेट्रोलियम ईंधन के वैकल्पिक स्त्रोतों की खोज हेतु प्रेरित किया. बायोडीज़ल, डीज़ल ईंधन के लिए खोजे गए कुछ महत्वपूर्ण विकल्पों में से एक है. प्रयोगशाला प्रक्रिया से विकसित किए गए बायो डीज़ल के विभिन्न भौतिक-रासायनिक गुणों को जाँचा गया. IOC (अ.एवं वि. केंद्रों) के अंर्तगत हमने भारी मात्रा में (६० ली.) बायो डीज़ल सफलतापूर्वक निर्मित किया. इस बायो डीज़ल के विभिन्न भौतिक-रासायनिक गुणों को जाँचा गया तथा पाया गया कि यह संश्लेषित बायो डीज़ल, ASTM बायोडीज़ल प्रतिमानों पर भी खरा उतरा है. IOC (अ.एवं वि. केंद्रों) में इसके क्षेत्र निरीक्षण तथा उत्सर्जन परीक्षण भी किए गए हैं.
प्र. देश के कौनसे भागों में बायो डीज़ल के निर्माण हेतु उपयुक्त प्रजातियों की खेती की जा सकती है?
उ. जैसा कि ऊपर समझाया जा चुका है कि निम्न मजदूर लागत तथा भूमि की उपलब्धता के कारण बायोडीज़ल की खेती के लिए ग्रामीण क्षेत्र ही उपयुक्त है. संक्षेप में कहा जा सकता है कि यह हमारे देश की व्यर्थ भूमि उपलब्धता पर निर्भर है.
प्र. आई ओ सी के अंर्तगत बायो डीज़ल अनुसंधान की वर्तमान दशा क्या है? यह प्रौद्योगिकी व्यवसायिक रूप से कब तक उपलब्ध हो पाएगी?
उ. IOC (अ.एवं वि. केंद्रों) ने मेथेनाल तथा एथेनाल का एल्कोहल की तरह प्रयोग कर विभिन्न वनस्पति तेलों जैसे : राइस ब्रान, जेट्रोफ़ा कर्कास, पाम, करंजिया, सूर्यमुखी आदि से बायो डीज़ल बनाने के लिए संश्लेषित प्रक्रिया के विकास का परीक्षण किया है. प्रयोगशाला प्रक्रिया से विकसित किए गए बायो डीज़ल के विभिन्न भौतिक-रासायनिक गुणों को जाँचा गया. (अ.एवं वि. केंद्रों) के अंर्तगत हमने भारी मात्रा में (६० ली.) बायो डीज़ल सफ लतापूर्वक निर्मित किया. इस बायो डीज़ल के विभिन्न भौतिक-रासायनिक गुणों को जाँचा गया तथा पाया गया कि यह संश्लेषित बायो डीज़ल, ASTM बायोडीज़ल प्रतिमानों पर भी खरा उतरा है. IOC (अ.एवं वि. केंद्रों) में इसके क्षेत्र निरीक्षण तथा उत्सर्जन परीक्षण भी किए गए हैं.
प्र. भारतीय रेलवे के लिए, बायो डीज़ल क्यों महत्वपूर्ण है?
उ. भारतीय रेलवे डीज़ल का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, जिसकी अनुमानित डीज़ल खपत लगभग २ मिलियन MTPA है, साथ ही यह देश के एक बड़े भू भाग का मालिक भी है, जिसमें व्यवस्थित रूप से कोई पौधारोपण नहीं हुआ है. रेलमागोर्ं के साथ लगी भूमि व अन्य उपलब्ध भूमि पर, रेलवे ने जैव फ़सलें प्रत्यारोपित करने की रुचि दिखाई है, जिसके माध्यम से रेलवे द्वारा प्रयुक्त डीज़ल के ५से १० % भाग का उत्पादन किया जा सकता है. रेलवे में बायोडीज़ल के समावेश से दो महत्वपूर्ण उद्देश्यों की पूर्ति होगी. पहला, उत्सर्जन दर में कमी होगी दूसरा डीज़ल को पर्याप्त मात्रा में ल्युब्रिसिटी मिलेगी. डीज़ल में सल्फर की लुब्रिकेसी की कम दर निकट भविष्य में महत्वपूर्ण होगी जब डीज़ल की सल्फर दर ५०० PPm से कम हो जाएगी. बायो डीज़ल १ से २ प्रतिशत कम सल्फर लुब्रिकेसी वाला डीज़ल उपलब्ध कराएगा.
प्लाण्ट की स्थापना- बायो डीज़ल
बायो डीज़ल का उत्पादन मुख्यतः २ चरणों में होता है
- बीजों से तेल का निष्कर्षण.
- वनस्पति तेल का बायो डीज़ल में परिवर्तन.
तेल का निष्कर्षण किसी भी उपयुक्त तेल निष्कर्षण इकाई में किया जा सकता है. जेट्रोफ़ा तथा करंजिया से तेल निष्कर्षण के लिए भी सामान्य तेल निष्कर्षण इकाइयों का ही प्रयोग किया जाता है. इस प्रक्रिया के द्वितीय चरण में वनस्पति तेलों को बायो डीज़ल में परिवर्तित करने के लिए रासायीनक प्रक्रिया संयत्र की आवश्यकता होती है. इस संयंत्र के संचालन हेतु विशेष ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है तथा यह अच्छे प्रशिक्षित इंजिनियरों, डिप्लोमा होल्डरों तथा केमिस्टों द्वारा ही किया जा सकता है.
उपलब्ध संसाधन
IIT देहली, IIC हैदराबाद, ITL फरीदाबाद तथा देहली कॉलेज ऑफ़ इंजिनियीरंग नई दिल्ली आदि ने वनस्पति तेलों से बायो डीज़ल विकसित करने की तकनीक विकसित की है. इस प्रक्रिया से संबंधित तकनीकी जानकारियाँ इन संस्थाओं द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं.
प्रश्र्नों के उत्तर
- छोटे पैमाने पर यह उद्योग, छोटे लोकसमूहों या उद्यमियों द्वारा स्थापित किए जा सकते हैं. नियम व शर्तों के लिए इन संस्थाओं से सहपर्क किया जा सकता है.
- तकनीकी पैकेज के एक हिस्से के रूप में आईटीएल फ़रीदाबाद में इसका प्रशिक्षण उपलब्ध कराई जाती है. अन्य सहस्थाओं से भी संपर्क किया जा सकता है.
- उपरोक्त संस्थाओं में संसाधनों का सही व्यौरा भी उपलब्ध है.
- विस्तार प्रक्रिया संलग्र है.
बायो डीज़ल के निर्माण हेतु विस्तार पूवर्क वर्णन
ट्रांस ईस्टरीफ़िकेशन जिसे कि एल्कोहलीकरण भी कहा जाता है, वास्तव में एक ईस्टर से एक एल्कोहल के द्वारा दूसरे एल्कोहल का विस्थापन है, यह प्रक्रिया जलीयकरण के समान है तथा इसका उपयोग सामान्यतः ट्राईग्लिसरॉइड की श्यानता कम करने के किया जाता है. वह प्रक्रिया एक सामान्य समीकरण द्वारा प्रदर्शित की जाती है. जो कि बायो डीज़ल निर्माण की प्रमुख विधी है.
RCOOR’ + R” RCOOR” + R’OH
यदि उपरोक्त समीकरण में मेथेनॉल उपयोग किया जाएगा तो यह मेथेनोलि़िसज कहलाएगी. ट्राईग्लिसरॉइड की मेथेनॉल के साथ क्रिया निम्न सामान्य समीकरण द्वारा समझाई जा सकती है.
ट्राईग्लिसरॉइड, अल्कलाइन उत्प्रेरकों की उपस्थिति में, ६० से ७० ०भ वायुमंडलीय दाब एवं ताप, मेथेनॉल की अधिकता में आसानी से ट्रांसइस्टरीफ़ाई हो सकते हैं. समीकरण के अंत में मिश्रण थम जाता है. मेथेनॉल की अधिक मात्रा आसवन के द्वारा ग्रहण कर ली जाती है तथा परिशोधन तथा पुर्नचक्रण के लिए परिशोधक स्तंभों में भेज दी जाती है. निम्न ग्लिसरॉल पर्तों को हठादिया जाता है तथा ऊपरी मेथेनॉल ईस्टर पर्त को पानी से धोकर पूरा ग्लिसरॉल हठा दिया जाता है. वसीय अम्लों के यह मिथाइल ईस्टर बायो डीज़ल कहलाते हैं.
गुणवत्ता नियंत्रण
प्राप्त बायोडीज़ल नीचे दिये गए अंर्तराष्ट्रीय प्रतिमान से मेल खाना चाहिए.
बायो डीज़ल के लिए (ASTM D 6751-01 ) विशेषताएँ
गुण(इकाइयाँ) | ASTM | सीमाएँ |
D - 6751 | ||
प्रदीप्ति बिंदु (°C) | D - 93 | Min 130 |
फ़ॉस्फोरस(% द्रव्यमान) | D - 4951 | Max 0.001 |
पानी एवं तलछट (%उच्च आयतनन) | D - 2709 | Max 0.050 |
CCR १००% (% द्रव्यमान) | D - 4530 | Max 0.050 |
सल्फेटेड एश(% द्रव्यमान) | D - 874 | Max 0.020 |
४०°C पर श्यानता (CST) | D - 445 | 1.9 - 6.0 |
सल्फर (%उच्चतद्रव्यमान) | D - 5453 | Max 0.05 |
सीटन नंबर | D - 613 | Min 47 |
कॉपर कोरोज़न | D - 130 | Max 3 |
न्युट्रलाइज़ेशन मान | D - 664 | Max 0.80 |
मुक्त ग्लीसरीन (% द्रव्यमान) | D - 6584 | Max 0.020 |
कुल ग्लीसरीन(% द्रव्यमान) | D - 6584 | Max 0.240 |
आसवन ताप (°C) | D - 1160 | 90% at 3600C |